You are here

लाइफस्टाइल मार्केटिंग (Lifestyle Marketing) क्या होती है। जाने फायदे और होने वाले नुकसान

lifestyle marketing

नई दिल्ली: विज्ञापन एक ऐसा माध्यम और तरीका है। जिसके इस्तेमाल से लोगो के नए उत्पादों की जानकारी और बिक्री बढ़ाने के लिए किया जाता रहा है। सभी कम्पनियाँ ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए विज्ञापनों के विविध प्रकार के मार्केटिंग रणनीतियों का प्रयोग करती रही है। लाइफस्टाइल मार्केटिंग (Lifestyle Marketing) अब तक की सबसे प्रतिष्ठित मार्केटिंग रणनीतियों में से एक है। आइए अब इसे एक बहुत ही सरल उदाहरण का उपयोग करके समझने की कोशिश करते हैं।

कैसे काम करती है लाइफस्टाइल मार्केटिंग (Lifestyle Marketing):

अगर आप भी 90 के दशक के हैं और आपने सचिन तेंदुलकर को खेलते हुए तो देखा ही होगा। तो मैं पूरे यकीन से कह सकता हूं कि आपके या आप ही किसी मित्र मंडली ने किसी के पास एमआरएफ बैट तो जरूर होगा। और इसकी भी संभावना है कि जब आप कभी बल्ला खरीदने  दुकान पर जाकर आपने इस बात की परवाह करने से पहले कि बल्ला किस लकड़ी का बना है। आपने एमआरएफ स्टिकर वाले बल्ले के लिए दुकानदार से पूछा होगा। और शायद लिया भी होगा। उस समय तो बस यही पता था की MRF का मतलब सचिन तेंदुलकर वाला बल्ला।

अब भगवान जाने कितने साल बाद आपको एहसास हुआ कि MRF का फुलफॉर्म मद्रास रबर फैक्ट्री है।

हम सभी सचिन तेंदुलकर को आदर्श मानते है और हम सभी सचिन तेंदुलकर की तरह ही बनना चाहते थे। तो कल्पनाओं में ही सही, पर MRF के बल्ले ने हमें ऐसा महसूस कराया जैसे कि यह सचिन तेंदुलकर का ही बल्ला है। तो सवाल यह है कि कैसे हमने बिना सोचे-समझे रबर टायर कंपनी के स्टिकर वाला बल्ला खरीद लिया। जिसका क्रिकेट से दूर तक कोई नाता नहीं है। जी हां। इसे ही लाइफस्टाइल मार्केटिंग का प्रभाव कहते है।

लाइफस्टाइल मार्केटिंग (Lifestyle Marketing) के फायदे और नुकसान –

विज्ञापन का उपयोग मार्केट में बिक्री को बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसके लिए कंपनियों द्वारा उच्च मात्रा में उत्पादन किया जाता है। जिससे उत्पादन की लागत कम हो जाती है। कई कम्पनियाँ अपने विज्ञापनों में उत्पादों का विवरण देती है। जिससे ग्राहक को इसे अन्य उत्पादों से तुलना करने में सहायता मिलती है। जिससे वह एक बेहतर तथा मनपसंद की चीज को खरीद सकता है।

वही दूसरी तरफ जिस प्रकार एक सिक्के के दो पहलू होते है। उसी प्रकार कम्पनियाँ जब विज्ञापन का उपयोग सिर्फ अपने फायदे के लिए करती है। तब अपने विज्ञापन का सही विवरण नहीं करते है। और प्रोडक्ट से मिलने वाले लाभों का भी गलत विवरण करते है। इससे उपभोक्ता भ्रमित हो जाते  है। और किसी बेकार उत्पाद को भी खरीद लेते है।

वही लाइफस्टाइल मार्केटिंग का उपयोग करके कुछ कम्पनियाँ अवैध उत्पादों का भी प्रचार बड़ी चतुराई से कर देती है। उदाहरण के लिए –

Source: business-insider

11 जनवरी 1964 को, संयुक्त राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर यह घोषित किया गया था कि सिगरेट से कैंसर होता है। और एक दिन के भीतर 8 अरब डॉलर का तंबाकू उद्योग और 7,50,000 परिवारों की आय दांव पर लग गई। तब वहीं मार्लबोरो कंपनी ने जिसका बाजार में हिस्सेदारी सिर्फ 1% थी। उसने इसी विज्ञापन के उपयोग से एक साल से भी कम समय में दुनिया में चौथा सबसे बड़ा सिगरेट ब्रांड बन गई।

कैसे परखें इन विज्ञापनों को –

हमारे लिए यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि चाहे विज्ञापन कितने भी आकर्षक दिखें। तो आप पहले सही से उस प्रोडक्ट के बारे में जानकारी इकक्ठा करे। ताकि यह विज्ञापन आपको गुमराह ना कर सकें। हमें समाज में जागरूकता लानी चाइये जिससे यह कम्पनियाँ विज्ञापनों की चमक धमक से हमें  शराब, सिगरेट जैसे अवैध सामान की व्यसनी में ना बदल दे। जागरूक रहे। सतर्क रहे।

यह भी पढ़े:  सरोगेट एडवरटाइजिंग (SURROGATE ADVERTISING) क्या होता है? जानें क्या है इसके नियम।

Leave a Reply

Top