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सरोगेट एडवरटाइजिंग (SURROGATE ADVERTISING) क्या होता है? जानें क्या है इसके नियम।

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नई दिल्ली: हमारे दैनिक जीवन में हमें कई प्रकार के विज्ञापन देखने को मिल जाते है। चाहे हो हमारे पसंदीदा टेलीविज़न शो के बीच में, किसी न्यूज़ पेपर के मध्य में या फिर बाजार में लगने वाले किसी भी बड़े बैनर में छपा हो। विज्ञापन किसी भी उत्पाद के बिक्री के लिए की जाती है। वही दूसरी तरफ कुछ ऐसे उत्पाद जैसे – गुटखा, सिगरेट आदि और मदिरा (Liquor) के विज्ञापनों पर प्रतिबन्ध होता है। क्योंकि इनके खुलेआम प्रचार से बच्चों तथा युवाओं के मन पर ग़लत असर पड़ता हैं। जिसके कारण बेवजह इस गलत आदत के शिकार हो जाते है।

वही बड़ी बड़ी कंपनियों इन प्रतिबंधित पदार्थो को बेचकर बहुत मुनाफा कमाना चाहती है। अतः वो अपना काम इस प्रकार से करते हैं कि सांप भी मर जाए तथा लाठी भी नहीं टूटे। तो ये कंपनियां सरकार द्वारा बनाई गए नियमो को गुमराह करके इन प्रतिबंधित पदार्थो का विज्ञापन करती है। जिसे आधुनिक भाषा में सरोगेट विज्ञापन ( Surrogate Advertisements ) कहते है।

कैसे काम करती है सरोगेट विज्ञापन ( Surrogate Advertisements ) :

भारत सरकार ने सन २००३ में तम्बाकू उत्पादों को लेकर COTPA Act 2003 पास किया था। जिसके अंतर्गत कोई भी खाद्य पदार्थों में तंबाकू और निकोटिन जैसे नशीली चीजों को मिलाकर नहीं बेचा जा सकता हैं। अतः इस एक्ट के आने बाद खुलेआम गुटका, पान मसाला जैसे कई अन्य उत्पादों के बिक्री पर रोक लग गई।
ऐसे में इन सारी कम्पनियों ने सरकारी नियमों को दरकिनार करते हुए सरोगेट विज्ञापन का इस्तेमाल किया और एक ही नाम से दूसरे प्रोडक्ट का विज्ञापन किया जिसके साथ साथ इन प्रतिबंधित पदार्थों का भी प्रचार हो जाए।

उदाहरण के लिए : पान मसाला वाली कम्पनी इलायची के नाम से और शराब को सोडा या म्यूजिक सीडी के नाम से प्रचार करते है। और शराब पीने वाले और तंबाखू खाने वाले समझ जाते हैं कि किस चीज का विज्ञापन है। ऐसे विज्ञापनों को ही सेरोगेट विज्ञापन कहा जाता है।

सरोगेट विज्ञापन का इस्तेमाल:

भारत में कई सालो से इन विज्ञापनों का इस्तेमाल होने लगा है। आइए कुछ उदाहरणों से इसे समझते हैं।

इम्पीरियल ब्लू का एड:

Source: Imperial Blue

यह कम्पनी मादक पदार्थों जैसे शराब को बेचने के लिए अपने विज्ञापन में इसी नाम से म्यूजिक सीडी का प्रचार करती हैं। अब आज के २१वी सदी कोई सीडी से म्यूजिक सुनता है भला। वही दूसरी एक और कंपनी मैकडोवेल अपने नाम से सोडा का प्रचार करती है। और समझदार शराबी के लिए तो इशारा ही काफी हैं।

पान मसाला:

Source: Vimal

आपने आजकल कई बड़े बड़े अभिनेताओं को “बोलो जुबा केसरी ” कहते तो या फिर प्रीमियम इलायची का स्वाद लेते हुए तो देखा ही होगा। अब ये इलायची तो कही मिले न मिले पर ये पान मसाला तो आपको हर एक कोने में देखने को मिल जायेगा। तो हुआ ना “कहि पे निगाए, कहीं पे निशाना”

अतः अब तो आप समझ ही गए हो होंगे की किस तरह ये ये कम्पनियां अपने फायदे के लिए कैसे इस विज्ञापन का इस्तेमाल अपने ब्रांड प्रमोशन के लिए करती हैं जो सरकार नियमो द्वारा स्वीकार्य भी होता हैं।

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